इतिहास

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 समसपुर गाँव का इतिहास



                                     समसपुर गाँव पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले की मवाना तहसील का एक मध्यम आबादी वाला गाँव है। यह जिला


                             

                              मुख्यालय से 35 किलोमीटर और तहसील मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर स्थित है। पवित्र गंगा नदी महज 4 किलोमीटर


                             

                            दूर से बहती है। इसके पूर्व में आशिफ़ाबाद, पश्चिम में अमरसिंहपुर, शिवपुरी, उत्तर में नारंगपुर, खूंटी और दक्षिण में केशूपुरा,



                           अटलपुर गाँव की सीमा पड़ती है। इन सब गाँव से पक्की सड़क से संपर्क है। इस गाँव की लगभग आबादी 4000 लोगों की है



                          जिसमें से लुहाच गौत्र के 20 लोग रहते हैं।



                         समसपुर के लुहाच पूर्वज मेरठ जिले के अमरपुर गाँव से लगभग 1940 ईस्वी में आए थे। अमरपुर गाँव की वंशावली के पेज



                         संख्या 1 की पीढ़ी संख्या 3 में मान सिंह लुहाच पैदा हुए। मान सिंह के चार बेटों में इन्दराज सिंह सबसे बड़े थे। इन्दराज सिंह 



                         अपने चाचा गुलाब सिंह के साथ सपरिवार अमरपुर में आ गए। इन्दराज सिंह के तीन बेटे और तीन बेटियाँ थी। बड़ी बेटी



                         बीजेन्दरी का विवाह लगभग 1925 ईस्वी में समसपुर गाँव के एक बहुत बड़े जमींदार घराने में पीतम सिंह से हुआ था। पीतम सिंह



                        के पास उस समय लगभग 1400 बीघा जमीन थी इस लिए गाँव में उसको राजा पीतम सिंह के नाम से जानते थे। पीतम सिंह



                        की 1300 बीघा जमीन 1980 के आस पास सीलिंग में चली गई। अब पीतम सिंह के वंशज के पास लगभग 100 बीघा 



                       जमीन बची है। शादी के कुछ साल बाद इन्दराज सिंह की मौत हो गई इस लिए परिवार को सम्हालने वाला कोई नहीं रहा।



                       इस लिए बीजेन्दरी अपने तीनों भाइयों को अपने पास ले आई। गजेन्दरी बहन सबसे छोटी बहन सरोज को अपने साथ ले गई



                       और अपने देवर से शादी करा दी। इस प्रकार इन्दराज सिंह का सारा परिवार समसपुर आ गया। यहाँ आने के बाद अमरपुर



                      की जमीन के बदले यहाँ समसपुर में भाई बीजेन्द्र सिंह ने 21 बीघा जमीन खरीद ली। समसपुर में अब बीजेन्द्र सिंह की 3 वीं



                      पीढ़ी चल रही है।